2000 से पहले भारत में ये नोट भी हो चुके हैं बंद, 10 लोगों की सैलरी के बराबर था एक नोट!

2000 Note Ban, Indian currency History: शुक्रवार को रात 7:00 आरबीआई की ओर से एक बड़ा ऐलान किया गया, जिसके मुताबिक 23 मई से 2000 के नोटों का सरकुलेशन बाजार में बंद हो जाएगा। वहीं 30 सितंबर तक लोगों को बैंक में जाकर नोट बदलवाने की सहूलियत दी गई है। ऐसे में जहां मौजूदा समय में इंडियन करेंसी में 2000 का नोट सबसे बड़ी नोट के तौर पर देखा जाता था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक वक्त में भारतीय करेंसी में इससे भी बड़े-बड़े अमाउंट के नोट हुआ करते थे। अगर नहीं तो आइए हम आपको भारतीय करेंसी के इतिहास के बारे में बताते हैं। इनमें से कुछ नोट तो ऐसे थे, जिनमें उस दौर में 10 लोगों की सैलरी सिमट जाती थी।

पहले भी छप चुके हैं बड़े अमाउंट के नोट

मौजूदा समय में भारतीय करेंसी में 2000 का नोट सबसे बड़ा नोट माना जाता है, लेकिन एक जमाने में भारत में 1,000 से लेकर 5,000 और 10,000 के नोट भी हुआ करते थे। खास बात यह थी कि इन नोटों को देखने के लिए लोग दूर-दराज से आया करते थे। उस दौर में बहुत कम लोगों ने इन नोटों को देखा था। ऐसे में आइए हम आपको भारत में छपने वाली बड़ी करेंसी के बारे में डिटेल में बताते हैं।

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भारत में 5000 और 10000 के नोट भी छपते थे

यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि आरबीआई की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली कैरेंसी में एक दौर में 5,000 से लेकर 10,000 तक के नोट हुआ करते थे। भारत में साल 1938 और 1954 में 10,000 के नोट भी छपा करते थे। हालांकि साल 1946 में हुई नोटबंदी के तहत ₹1000 और ₹10000 के नोटों को बंद कर दिया गया था। बाद में इन नोटों को ₹1000, ₹5000 और ₹10000 को 1954 में फिर से लागू किया गया।

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इसके बाद साल 1978 में मोरारजी भाई देसाई की सरकार ने इन नोटों का विमुद्रीकरण किया, जिसके बाद इन नोटों को दोबारा कभी शुरू नहीं किया गए।

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कभी छपते थे भारत में ₹100000 के नोट

बात सिर्फ हजारों तक ही सीमित नहीं थी, यह बात बेहद कम लोग जानते हैं कि भारत में 1 लाख रुपए के नोट भी छपा करते थे। दरअसल 1 लाख रुपए के नोट नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार के जमाने में छपा करते थे। इस नोट पर महात्मा गांधी की नहीं, बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर हुआ करती थी। इस नोट को आजाद हिंद बैंक ने जारी किया था। इस बैंक का गठन भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ही किया था। बता दे यह बैंक वर्मा के रंगून में स्थित था। इसी बैंक को बाद में बैंक ऑफ इंडिपेंडेंस के नाम से जाना गया। खास बात यह थी कि इस बैंक को डोनेशन कलेक्शन के लिए बनाया गया था। इस डोनेशन का इस्तेमाल भारत को ब्रिटिश राज से आजादी दिलाने के मिशन में किया जाता था।

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